पुणे का चिंचवड़ रेलवे स्टेशन उस रात बिल्कुल सुनसान हो चुका था। मुंबई–पुणे एक्सप्रेस तीन घंटे लेट थी और इंतज़ार करते–करते यात्री या तो किसी दूसरी ट्रेन से निकल चुके थे या फिर स्टेशन छोड़कर जा चुके थे।
अब वहाँ बस एक ही व्यक्ति बचा था — जतिन।
थका हुआ जतिन बुदबुदाया,
“लगता है अब मैं अकेला ही हूँ…...
पुणे का चिंचवड़ रेलवे स्टेशन उस रात बिल्कुल सुनसान हो चुका था। मुंबई–पुणे एक्सप्रेस तीन घंटे लेट थी और इंतज़ार करते–करते यात्री या तो किसी दूसरी ट्रेन से निकल चुके थे या फिर स्टेशन छोड़कर जा चुके थे।
अब वहाँ बस एक ही व्यक्ति बचा था — जतिन।
थका हुआ जतिन बुदबुदाया,
“लगता है अब मैं अकेला ही हूँ…...